قاعدۀ اقرار و مقاصّۀ نوعى

[۱۵۹۳] [۱۵۹۴] [۱۵۹۵] [۱۵۹۶] [۱۵۹۷] [۱۵۹۸] [۱۵۹۹] [۱۶۰۰] [۱۶۰۱] [۱۶۰۲] توضیح مقدّماتی ج۳، مسئله ۱۵۹۳ . شیعیان گاه در قراردادها و معاملات یا امور حقوقی یا ازدواج و مانند آن با غیر شیعیان ارتباط و تعامل دارند؛ از آنجا که نظرات فقهی مذاهب اسلامی در بعضی از موارد متفاوت...

اقرار

[۱۵۷۱] [۱۵۷۲] [۱۵۷۳] [۱۵۷۴] [۱۵۷۵] [۱۵۷۶] [۱۵۷۷] [۱۵۷۸] [۱۵۷۹] [۱۵۸۰] [۱۵۸۱] [۱۵۸۲] [۱۵۸۳] [۱۵۸۴] [۱۵۸۵] [۱۵۸۶] [۱۵۸۷] [۱۵۸۸] [۱۵۸۹] [۱۵۹۰] [۱۵۹۱] [۱۵۹۲] تعریف اقرار ج۳، مسئله ۱۵۷۱ . «اقرار» آن است که فردی اعتراف نماید حقّی بر عهدۀ وی ثابت است یا حقّی را که به نفع...

امور ضمان‌آور

[۱۵۴۵] [۱۵۴۶] [۱۵۴۷] [۱۵۴۸] [۱۵۴۹] [۱۵۵۰] [۱۵۵۱] [۱۵۵۲] [۱۵۵۳] [۱۵۵۴] [۱۵۵۵] [۱۵۵۶] [۱۵۵۷] [۱۵۵۸] [۱۵۵۹] [۱۵۶۰] [۱۵۶۱] [۱۵۶۲] [۱۵۶۳] [۱۵۶۴] [۱۵۶۵] [۱۵۶۶] [۱۵۶۷] [۱۵۶۸] [۱۵۶۹] [۱۵۷۰] امور ضمان‌آور[۱] ضمان ید ج۳، مسئله ۱۵۴۵ . یکی از اموری که موجب ضمان می‌شود آن است که...

وظیفه غاصب۲

[۱۵۲۷] [۱۵۲۸] [۱۵۲۹] [۱۵۳۰] [۱۵۳۱] [۱۵۳۲] [۱۵۳۳] [۱۵۳۴] [۱۵۳۵] [۱۵۳۶] [۱۵۳۷] [۱۵۳۸] [۱۵۳۹] [۱۵۴۰] [۱۵۴۱] [۱۵۴۲] [۱۵۴۳] [۱۵۴۴] زیاد شدن ارزش مال نزد غاصب ج۳، مسئله ۱۵۲۷ . اگر ارزش مالی که غصب شده، بر اثر کاری که غاصب نسبت به آن انجام داده، بیشتر شود، سه صورت دارد: الف....

وظیفه غاصب۱

[۱۴۹۵] [۱۴۹۶] [۱۴۹۷] [۱۴۹۸] [۱۴۹۹] [۱۵۰۰] [۱۵۰۱] [۱۵۰۲] [۱۵۰۳] [۱۵۰۴] [۱۵۰۵] [۱۵۰۶] [۱۵۰۷] [۱۵۰۸] [۱۵۰۹] [۱۵۱۰] [۱۵۱۱] [۱۵۱۲] [۱۵۱۳] [۱۵۱۴] [۱۵۱۵] [۱۵۱۶] [۱۵۱۷] [۱۵۱۸] [۱۵۱۹] [۱۵۲۰] [۱۵۲۱] [۱۵۲۲] [۱۵۲۳] [۱۵۲۴] [۱۵۲۵] [۱۵۲۶] وظایف غاصب (و توضیحات بیشتر در ضمان غاصب)...

غصب

[۱۴۸۲] [۱۴۸۳] [۱۴۸۴] [۱۴۸۵] [۱۴۸۶] [۱۴۸۷] [۱۴۸۸] [۱۴۸۹] [۱۴۹۰] [۱۴۹۱] [۱۴۹۲] [۱۴۹۳] [۱۴۹۴] غصب و سایر امور ضمان‌آور غصب مذمّت و نکوهش غصب غصب، یکى از گناهان کبیره است که عقل و نقل (قرآن و روایات) بر زشتی و حرام بودن آن اتّفاق دارند. در حدیث است که امام صادق(علیه...